अहंकारी सियार और लालची कौआ की कहानी, The Proud Jackal and the Greedy Crow, Ankahari Siyar Aur Lalchi Kauwa

अहंकारी सियार और लालची कौआ की कहानी, The Proud Jackal and the Greedy Crow, Ankahari Siyar Aur Lalchi Kauwa Ki Kahani अहंकारी सियार और लालची कौआ की कहानी हिंदी में। इस कहानी में जानिए कैसे अहंकार और लालच एक जंगली सियार और कौए की दोस्ती को नष्ट कर देते हैं। इस कहानी से शिक्षा प्राप्त करें कि अहंकार और लालच से दूर रहना हमेशा बेहतर होता है।

यह है अहंकारी सियार और लालची कौआ की कहानी। यह कहानी एक जंगल में हुई एक दोस्ती के बारे में है, जहां सियार और कौए एक-दूसरे के दोस्त बन जाते हैं। लेकिन अहंकार और लालच ने इस दोस्ती को नष्ट कर दिया। कृपया इस कहानी को पढ़कर जानें कि अहंकार और लालच से बचना क्यों आवश्यक है।

अहंकारी सियार और लालची कौआ की कहानी

एक जंगल में एक अहंकारी सियार रहता था। वह अपनी प्रभावशाली और विशाल आवाज से प्रतिदिन जंगल में घूमता था। वह खुद को बहुत ही समर्थ और शक्तिशाली मानता था। उसे अपनी ताकत की वजह से जंगल के अन्य जानवर डरते थे और उसे सम्मान देते थे।

एक दिन, सियार ने एक लालची कौआ को देखा। कौआ अपने बापू के साथ एक गोल्डन अंडा ढूंढ़ रहा था। सियार के मन में एक योजना उभरी – वह दोस्त बनना चाहता था क्योंकि उसे लगा कि कौवा अंडे का पता बता सकता है।

सियार ने लालची कौए के पास जाकर कहा, “अहो! मेरे दोस्त, मैंने एक रहस्यमय चीज़ ढूंढ़ ली है। यह एक गोल्डन अंडा है जिसमें बड़ा संपत्ति छिपी हुई है। क्या तुम मुझे इसके बारे में बता सकते हो कि यह कहां मिला है?”

लालची कौआ अभिमान में आ गया और उसने सियार को बताया, “देखो, मुझे यह अंडा के बारे में पता है। यह अंडा एक पेड़ के ऊपर सफेद फर्श पर छिपा हुआ है।”

सियार ने धन्यवाद कहते हुए दौड़ते हुए कहा, “तुम बहुत धन्यवाद! मैं इसे जल्दी से ढूंढ़ लूंगा और अपनी देशभक्ति की उच्चता को साबित करूंगा।”

सियार और कौए ने एक साथ पेड़ के पास पहुंचकर खोज शुरू की। लेकिन वहां कोई अंडा नहीं था। यह सब लालची कौवा की खोजी हुई योजना थी। उसने सियार को मूर्ख बनाया और खुद अंडे को चुरा लिया।

सियार ने अहंकार और लालच की वजह से अपने दोस्ती को खो दिया। वह दुखी हुआ और खुद को बेवकूफ समझते हुए गलती स्वीकार की। इस कहानी से हमें सिख मिलती है कि गर्व और लालच से दूर रहना हमेशा बेहतर होता है और सच्चे दोस्त की कीमत समझनी चाहिए।

इस प्रकार सियार और कौए की यह कहानी समाप्त होती है।

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