गीदड़ और मूर्ख मेंढ़क की कहानी, The Cat and the Foolish Monkey, Gidad Aur Murkh Medhak Ki Kahani

गीदड़ और मूर्ख मेंढ़क की कहानी, The Cat and the Foolish Monkey, Gidad Aur Murkh Medhak Ki Kahani. गीदड़ और मूर्ख मेंढ़क की कहानी – एक जादुई कहानी जहां एक चालाक गीदड़ और मूर्ख मेंढ़क के बीच उत्पन्न होता है। यह कहानी बताती है कि बुद्धिमानी का महत्व हमेशा होता है।

गीदड़ और मूर्ख मेंढ़क की कहानी विश्वप्रसिद्ध ईसोप की कहानियों में से एक है। यह कहानी हमें सिखाती है कि होशियारी और समझदारी सदैव महत्वपूर्ण होती हैं। यह उपन्यास हमें एक गीदड़ और मेंढ़क की कहानी से रोचकता और सीख देता है।

गीदड़ और मूर्ख मेंढ़क की कहानी

एक जंगल में एक गीदड़ और मूर्ख मेंढ़क रहते थे। गीदड़ चालाक और बुद्धिमान थी, जबकि मूर्ख मेंढ़क नादान और मूर्ख था। एक दिन, गीदड़ ने यह सुना कि गांव के पास एक तालाब में एक बहुत ही बड़ा मेंढ़क बसा है जिसे सब लोग देखने आते हैं।

गीदड़ चालाकी से सोचने लगी कि वह इस मौके का फायदा उठा सकती है। उसने मूर्ख मेंढ़क के पास जाकर कहा, “भगवान ने मुझे बताया है कि तुम बहुत बुद्धिमान हो और असाधारण ताकत रखते हो। तालाब में एक बड़ी और खतरनाक मेंढ़क बसा है और मुझे उसे देखना है। क्या तुम मेरे साथ चलोगे?”

मूर्ख मेंढ़क, अपने आप को बहुत ही अच्छी तरह से समझते हुए बहुत गर्व से बोला, “हां, बिलकुल! मैं बहुत ही शक्तिशाली हूँ और मुझे बहुत सारे लोग देखने चाहते हैं। मैं तुम्हारे साथ चलूंगा।”

इस प्रकार, गीदड़ और मूर्ख मेंढ़क तालाब की ओर चले गए। जब वे वहां पहुंचे, तो गीदड़ ने उनसे कहा, “अब मैं तुम्हें यहां छोड़ती हूँ, लेकिन ध्यान रखो, यदि तुम ऊपर जाते हो, तो तुम्हारे पंजे से तालाब की सतह को थोड़ा खुरचें और बहुत सारा जबरदस्त ध्वनि करें। जब लोग तुम्हें देखेंगे, तो वे तुम्हें बहुत बड़ा मेंढ़क समझेंगे।”

मूर्ख मेंढ़क ने अनुसार बात की और उपर जाने का प्रयास किया, लेकिन वह जबरदस्ती करते हुए गदगदाहट करने लगी। तालाब के पास रहने वाले लोग देखकर बहुत ही हैरान थे और अचम्भित हो गए। वे चिढ़ा चढ़ियों और मूर्खता को देख रहे थे।

गीदड़ खुशी से हंसी और उसने मूर्ख मेंढ़क से कहा, “तुम कैसे बेवकूफ़ हो सकते हो? कोई मेंढ़क तालाब में रहने वाली नहीं होती। यह सब मेरा एक ही चाल था तुम्हें उस तालाब में ले जाने का, जहां तुम मेंढ़क होने की बजाय साधारण मंगल जीना होता है।”

मूर्ख मेंढ़क को अपनी मूर्खता पर बहुत खेद था और उसने गीदड़ को माफ़ी मांगते हुए कहा, “मुझे खेद है कि मैं इतना मूर्ख हुआ। मैं अब समझता हूँ कि बुद्धिमानी की कद्र करनी चाहिए।”

इस कहानी से हमें यह सिखाई जाती है कि होशियारी हमेशा सफलता का मार्गदर्शक होती है। आदर्श और ज्ञान बढ़ाने वाली यह कहानी बच्चों को समझदारी और सत्य के महत्व को सिखाती है।

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