चलती बस और मछली की कहानी (The Moving Bus and the Fish)

चलती बस और मछली की कहानी, The Moving Bus and the Fish, Chalti Bus Aur Machhli Ki Kahani चलती बस और मछली एक लोकप्रिय ईसोप की पंचतंत्र कथा है जो हमें सिखाती है कि आवश्यकताएं और परिस्थितियाँ हमारे जीवन के कठिनाइयों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं। इस कहानी में एक मछली और एक बस के बीच एक दिलचस्प संवाद होता है जो हमें यह बताता है कि सफलता के लिए योग्य अवसरों को पहचानना और उनका उपयोग करना आवश्यक होता है।

चलती बस और मछली की कहानी

यह एक बार की बात है, जब एक छोटी सी मछली नदी में तैर रही थी। वह अपनी धीमी गति से प्रशांतिपूर्ण जीवन का आनंद ले रही थी। एक दिन, वह एक बस को देखती है जो उसके पास से गुजर रही थी। मछली ने सोचा, “यह बस जगह जगह जाती है, क्या इसके साथ मैं अपनी यात्रा कर सकती हूँ?” उसने अपनी सारी ताकत जुटाई और बस के पास पहुंची।

मछली ने बस को कहा, “हे बस, क्या आप मुझे अपनी यात्रा में शामिल कर सकते हैं? मैं भी आपकी यात्रा का आनंद लेना चाहती हूँ।” बस ने हंसते हुए कहा, “तू मज़ाक कर रही है क्या? तू पानी में रहती है और मैं सड़क पर चलती हूँ। हमारी यात्राएं एक दूसरे से बहुत अलग होती हैं।”

मछली ने कहा, “कृपया मुझे अपने साथ ले चलें, मैं आपके साथ बहुत अद्भुत चीजों को देखने का आनंद लेंगी।” बस ने चुपचाप मछली को अपने पीछे बैठाया। यात्रा चालू हो गई और बस अपनी रफ्तार से आगे बढ़ने लगी।

थोड़ी दूर जाने के बाद, बस एक गहरे नदी में जा पहुंची, जहां उसकी रफ्तार कम हो गई। मछली ने पानी में बसने का आनंद लेते हुए कहा, “यहां तो बहुत शांतिपूर्ण है। मुझे आपकी यात्रा बहुत पसंद आई है। धन्यवाद!” बस ने मुँह चिढ़ाते हुए कहा, “देखा, यह तो मेरे अंदर ही सही स्थान है। तू यहां ठीक से नहीं रह सकती, तू तो मछली है और मछली के लिए पानी ही अनुकूल होता है।”

मोरल: यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपने प्रतिष्ठान और परिस्थितियों का सम्मान करना चाहिए। हमारे जीवन में हमेशा ऐसे अवसर होंगे जब हमें दूसरे लोगों के साथ काम करना होगा या उनकी मदद लेनी होगी। हमें अपनी सीमाओं को स्वीकार करना और वे अवसर चुनना जो हमारे लिए सबसे उपयुक्त हों।

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